डॉ राज शेखर यादव
M.D.(Med)
हम जब भी किसी अच्छे होटल में 2-4दिन के लिए ठहरते हैं तो अपेक्षा करते हैं कि चाहे गंदी न हो पर चादर रोज़ बदली जाएगी ,रोज नए टॉवेल्स दिए जाएंगे चाहे इस्तेमाल न किये गए हों।हम में से अधिकांश लोग अपने घरों पर चादर और टॉवल 3-4 दिन से पहले नही बदलते पर होटल में हमें रोज़ नई चादर और नया टॉवल चाहिए।नहाते समय भी घर की तुलना में 2 से 3 गुना अधिक पानी इस्तेमाल करते हैं।A.C.को 16 डिग्री पर सेट रखते है चाहे कंबल क्यों न ओढ़ना पड़े।ये एक सामान्य मानवीय सोच है। यदि खुद की जेब से अतिरिक्त खर्च नही हो तो सेवाओं का दुरुपयोग शुरू हो जाता है।कैशलेस हैल्थकेअर स्कीम्स में बिल्कुल ऐसा ही होता है।मरीज़ एक फिक्स्ड प्रीमियम देने के बाद स्वास्थ्य सेवाओं का दोहन करने लगता है।सरकारी योजनाओं में तो उसे प्रीमियम भी नही देना होता।और फिर उसके इस काम मे मदद करने के लिए बहुत से हॉस्पिटल भी तैयार रहते हैं।अनावश्यक जांच, अनावश्यक procedures की unethical प्रैक्टिसेज की जननी यही कैशलेस हेल्थ केअर प्रणाली है।कभी ECHS या ESI क्लीनिक में जाएं ,वहां लगभग हर मरीज़ डॉक्टर से बड़ी बड़ी जांच करवाने या बड़े अस्पताल में रेफर करने का आग्रह करता मिलेगा।डॉक्टर रैफर न करे तो झगड़ा करने लगते हैं। कई बार तो मार पिटाई तक कि नौबत आ जाती है।ECHS कार्ड वाले फौजी भाइयों से मिलें। आप देखेंगे कि 40 से 50 की उम्र वाले लगभग हर दूसरे कार्डधारक की एंजियोप्लास्टी हो चुकी है।उनके पास कैशलेस इलाज सुविधा नही होती तो ऐसा बिल्कुल नही होता।हॉस्पिटल्स को ऐसा इसलिए करना होता है क्योंकि पहले तो हॉस्पिटल्स को empanelment के लिए भारी खर्च करना होता है।फिर पैकेज रेट्स बेहद कम होते हैं।क्लेम्स रिजेक्ट होते रहते हैं, और यदि बिल पास करवाने की प्रक्रिया ऑनलाइन नही है तो हर बिल के लिए मोटी रिश्वत भी देनी पड़ती है। इसलिए अनावश्यक प्रोसीजर करने में उन्हें ग्लानि नही होती।कुल मिला कर पूरी कैशलेस हेल्थ केअर प्रणाली भृष्टाचार की मार से ग्रस्त है।और भृष्टाचार की इस गंगा में मरीज़,अस्पताल,insurance एजेंसीज ,अथॉरिटीज सब आकंठ डूबे हैं।लेकिन इसका खामियाजा भुगतते है वो निर्दोष डॉक्टर्स और अस्पताल जो ईमानदारी से अपना काम करना चाहते हैं।
-डॉ राज शेखर यादव
M.D.(Med)