आज रौनक के स्कूल की छुट्टी थी। उसने मम्मी से पूछा, "मम्मी मैं गौरव के यहाँ खेलने जाऊँ?"
"हाँ बेटा जाओ, पर अँधेरा होने से पहले लौट आना।" मम्मी ने कहा।
"ठीक है मम्मी मैं समय पर आ जाऊँगा।" यह कहकर रौनक गौरव के घर की ओर चल पड़ा।
थोड़ी दूर चलने पर उसने देखा दीनू काका एक हरे-भरे पेड़ को काट रहे थे। रौनक रुका और बोला, "दीनू काका, आप इस पेड़ को क्यों काट रहे हो? ऊपर तो चिड़िया का घोंसला भी है। आप पेड़ को काटोगे तो उसका घर भी उजड़ जायेगा। मेरी टीचर कहती है कि हमें हरे-भरे पेड़ों को नहीं काटना चाहिए और जीवों पर भी दया करनी चाहिए।"
नन्हे से रौनक की समझदारी भरी बाते सुनकर दीनू काका के हाथ रुक गए और वे बोले, "बेटा तुम बिल्कुल सही कहते हो। मुझ अनपढ़ को पाप करने से बचा लिया तुमने।" यह कहकर दीनू काका सूखी लकड़ियाँ ढूँढने निकल पड़े।
रौनक कुछ और आगे चला तो उसने देखा पानी की एक टंकी के पास रजनी मौसी कपड़े धो रही थीं। नल खुला था और नीचे रखी बाल्टी भर चुकी थी और बहुत सारा पानी बहकर सड़क पर आ रहा था।
"रजनी मौसी जल तो जीवन है। अगर ये ही नहीं रहा तो हम पीयेंगे क्या? मेरी टीचर कहती है कि हमें व्यर्थ पानी नहीं बहाना चाहिए।" रौनक ने कहा।
"तू ठीक कहता है बेटा! आगे से मैं ख़याल रखूँगी।" नल को बंद करते हुए रजनी मौसी ने कहा।
रौनक कुछ और दूरी तक चला तो उसने देखा शिल्पा दीदी घर की सफाई से निकला कचरा सड़क पर फेंक रही थीं। रौनक रुका और बोला, "शिल्पा दीदी, मेरी टीचर कहती है कि हम जिस तरह अपने घर को साफ़ रखते हैं उसी तरह हमें अपनी गली, मोहल्ले, शहर और देश को भी स्वच्छ और सुन्दर रखना चाहिए। इससे हमें बीमारियाँ भी नहीं होंगी और हम देश के अच्छे नागरिक भी कहलायेंगे।"
रौनक की बाते सुन शिल्पा को अपनी ग़लती का अहसास हुआ और उसने सड़क से कचरा उठा कर कुछ ही दूरी पर रखे कूड़ेदान में डाल दिया।
कुछ देर में रौनक अपने दोस्त गौरव के घर पहुँच गया। गौरव वहाँ नहीं था। गौरव की मम्मी रसोईघर में खाना बना रही थी। रौनक ने देखा कि एक कमरे में लाइट और पंखा चल रहा था और वहाँ कोई नहीं था।
रौनक रसोईघर में गया और बोला, "रोली आंटी, पास वाले कमरे में लाइट और पंखा चल रहा है। मेरी टीचर कहती है कि हमें बिजली व्यर्थ नहीं जलानी चाहिए वरना एक दिन ऐसा आएगा जब हमें फिर से अँधेरे में रहना पड़ेगा।"
रौनक की समझदारी भरी मीठी-मीठी बातें सुनकर रोली आंटी कमरे में गयी और लाइट और पंखा बंद कर दिया और रौनक के सर पर प्यार से हाथ फेरकर बोली, "बेटा तुम्हारी टीचर बिल्कुल सही कहती है। मैं आगे से ख़याल रखूँगी। तुम छत पर जाओ गौरव वहाँ तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है।"
रौनक छत पर गया और दोनों दोस्त खेलने लगे।