प्रिये डायरी,
मेरी किताबें आज मुझे बहुत ज्यादा परेशांन कर रही हैl और मेरा दिमाग उन्हें कुछ भी नहीं कह पा रहा हैl हाँ, जैसा की तुम्हे पता है की मेरे परीक्षा चल रही हैl और तुम्हे पता है, की में पड़ाई में कितना पीछे रहता हूँl
मैं कुछ दिन पहले ही सिर्फ 15 साल का पूरा हुआ हूँ l ओर तो ओर मेरे परीक्षा के बिच में ही मेरे माँ – बाप ने मेरे लिए आज IIT करके एक कोचिंग इंस्टिट्यूट में दाखिला करवाया हैl वो चाहते है की में अच्छे से IIT करके इंजिनियर बन जाऊ l पर तुम्हें तो पता ही है में आगे बड़कर एक फुटबॉल खिलाडी बनना चाहता हूँl और तुम भी जानती हो की में कितना अच्छा फूटबॉल खेलता हूँl और अगये भी कितना अच्छा खेल सकता हूँ l पता नहीं मेरे माँ – बाप मेरी इस बात को क्यों नहीं समझ पा रहें हैl और वो भी बहुत अच्छे से जानते है की में बहुत अच्छा फूट बॉल खेलता हूँl पर फिर भी वो चाहते है की हमारी पुराने लोगों ने भी IIT करके इंजिनियर की पड़ाई की हैl इसलिए तुम्हे भी यह ही करना पड़ेगाl
और तुम्हें पता है, आज जब मेने अपने माँ-बाप के सामने मेरी बात रखी तो पापा आज मेरे पर बहुत बुरी तरीके से चिला पड़े थे, और कहने लगे की नहीं तुम्हे कोई फुटबॉल नहीं खेलना हैl और साथ ही में मेरे हाथ से फुटबॉल को लेकर फाड़ भी दी l
सही में, मुझे यह समझ नहीं आता की जब मेरी खेलने की उम्र थी तब ही मेरे माँ – बाप ने मेरे सामने यह किताबों का ठेर लाके रख दिया था l अब तो क्या मुझे भी पापा के नक़्शे कदम पर ही अपना करियर बनाना पड़ेगा l पता नहीं क्यों आज कल के माँ – बाप अपने बच्चों को आज ज़िन्दगी जीने देने, की जगह आगे का सारा काम और चिंता अभी ही से सोप देना हैl तुम ही बताओं डायरी यह तो एक तरीके का धंधा ही हुआ ना l जहा माँ बाप अपनी परवरिश का क़र्ज़ वसूल करते हैl और आगे अपने बच्चों के सपने पूछे बिना ही खुद ही सब कुछ तय कर लेते हैl
सही में तो सोचता हूँ किसी ओरों के बच्चें की ज़िन्दगी में तो ऐसा दिन नहीं आने चाहियेl क्यों की उन्हें भी पूरा हक है अपनी ज़िन्दगी जीने का, और बल्कि बच्चों की खुशी में ही उनके माँ – बाप की खुशी होनी चाहीयेंना l
चलो, अब तो मुझे अपने ज़िन्दगी में आगे बहुत ज्यादा पड़ाई करनी पड़ेगीl इसलिए में तो जा रहा हूँ पड़ने के लिए और पर तुम तो आराम से सों जाओl क्योंकि कल फिर से इसी समय पर हमें वापिस मिलना होगा और एक नई सोच को जगाना होगा l
सुबह रात्रि